वो भाग गई - 1 Rinky Jaiswal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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वो भाग गई - 1

"कृष! दीदी कहा है"
"मम्मी! दीदी नहाने गई है।"
"कब से नहा रही है। अभी तक आई नही, जाकर देख तो
क्या कर रही है"
"ठीक है मम्मी"
"दीदी! दीदी! कहा हो तुम, ( कमरे में कोई नही होता)
"मम्मी दीदी कमरे में नहीं है"
"अरे देख शायद छत पे गई होगी"
"नही मम्मी दीदी छत पे भी नही है"
"तो कहा गई गुड्डी"
( सभी ढूंढने लगते है, लेकिन कही भी गुड्डी नही मिलती, मिलेगी भी कैसे गुड्डी अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी, वो प्रेमी जो उस से लगभग १० वर्ष बड़ा था और गुड्डी सिर्फ १५ साल की)
दोनों की कहानी शुरू होती है, दिवाली के दिन से।
गुड्डी जो अभी सिर्फ १२ वर्ष की थी, दिवाली के दिन पटाखे जला रही थी, एक अनार उसने जलाया लेकिन वो जला नही पर उसमें अगरबत्ती की चिनगारी लग गई थी, जिसपे उसने ध्यान नही दिया और उसने हाथ में अनार उठा लिया और वो सुलगते सुलगते अनार उसके हाथ में ही जल गया, जिस से उसका चेहरा जल गया, पूरी तरह से तो नही लेकिन आधा चेहरा जरूर जल गया, गुड्डी कुछ देर के लिए बेहोश हो गई हॉस्पिटल ले जाया गया, जहा उसका इलाज शुरू हुआ और डॉक्टर के अनुसार जली हुई जगह को ठीक होने में कुछ महीने का वक्त लग सकता है ऐसा उन्होंने गुड्डी के पापा और उसके परिवार वालो को कहा।
गुड्डी को दिवाली के दिन ही इलाज का आवश्यक प्रावधान करने के बाद घर लाया गया।
(अब शुरू होगी कहानी गुड्डी के प्रेमी राजन की)
राजन एक मध्यम वर्गीय परिवार का एक २५ वर्षीय लड़का था जो कम उम्र से ही पढ़ न पाने के कारण अपनी आजीविका चलाने के लिए एक निजी कंपनी में छोटा मोटा कार्य करता था।
राजन गुड्डी के ही अपार्टमेंट में तीसरे माल्हे पे रहता था। गुड्डी और राजन का परिवार कुछ वर्षो से एक ही अपार्टमेंट में रहने के कारण अच्छे मित्र और पड़ोसी बन चुके थे। राजन हमेशा से ही गुड्डी के घर अच्छे पड़ोसी होने के कारण आता जाता रहता था। शायद किसी को अंदाजा भी होगा की आगे क्या होनेवाला था।
राजन गुड्डी जब छोटी थी उसे घुमाना, खिलाना खाने पीने की चीजे लाना उसके लिए जैसे एक छोटे बच्चे को सब दुलार करते है वैसे ही राजन भी किया करता था। गुड्डी की मम्मी और पापा को भी इन बातो से कोई एतराज नही था। क्यूंकि राजन उनके परिवार जैसा ही बन चुका था। धीरे धीरे समय जाते वक्त नहीं लगता। और गुड्डी अब किशोर होने लगी थी। उसकी उम्र कुछ १४ वर्ष की होगी। जब उसके की क्लास में उसने देखा कि उसकी एक दोस्त को उसके क्लास के एक लड़के ने एक तोहफा दिया जिसमे एक चाभी का छल्ला था जिसका आकार दिल की तरह था और उसमें कुछ लिखा था। उसकी दोस्त ने उसे स्वीकार किया और बाद में मिलते है कहके अपनी सीट पे आके बैठ गई। गुड्डी ने तुरंत पूछा । क्या चल रहा है। तो उसकी दोस्त ने उसे बताया कि वो उस लड़के को पसन्द करती है और वो लड़का भी उसे पसंद करता है। ये सुन के गुड्डी के मन में जिज्ञासा जागी और उसने और पूछना चाहा। उसकी दोस्त ने उसे उसके और उस लड़के के बारे में बताया।

आगे की कहानी भाग – २ में

कहते है प्यार की कोई उम्र नहीं होती, लेकिन मित्रो कच्ची उम्र का प्यार क्या सही होता है, और इसका भविष्य कितना सुरक्षित होता है ये अनुमान लगाया जा सकता है, गुड्डी और राजन की कहानी कहा शुरू हुई और इसका क्या परिणाम निकलता है ये पढ़िए कहानी के अगले के भाग में।